क्या NCERT यानी राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की किताबों में ‘इंडिया’ का नाम ‘भारत’ हो जाएगा? यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यक्रम में संशोशन के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने सभी स्कूली पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है. हालांकि, इस पर अब एनसीईआरटी का आधिकारिक बायन सामने आया गया है. एनसीईआरटी ने न तो इस मीडिया रिपोर्ट को सिरे से खारिज किया और न ही इसका समर्थन किया, मगर इतना जरूर कहा कि अभी इन मीडिया रिपोर्ट्स पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी.
दरअसल, समिति के अध्यक्ष सी.आई. आइजक के अनुसार, समिति ने पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल, ‘प्राचीन इतिहास’ के स्थान पर ‘क्लासिकल हिस्ट्री’ शुरू करने, सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) शुरू करने की सिफारिश की. हालांकि, एनसीईआरटी के अध्यक्ष दिनेश सकलानी ने कहा कि समिति की सिफारिशों पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
समिति के अध्यक्ष सी.आई. आइजक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘समिति ने सर्वसम्मति से सभी कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों में ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है. हमने ‘प्राचीन इतिहास’ के स्थान पर ‘क्लासिकल हिस्ट्री’ पढ़ाने की भी अनुशंसा की है.’ आइजक ने कहा, ‘भारत सदियों पुराना नाम. 7,000 साल पुराने विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भारत नाम का इस्तेमाल किया गया है.’ आइजक ने कहा कि समिति ने पाठ्यपुस्तकों में विभिन्न लड़ाइयों में ‘हिंदुओं की विजयों’ पर प्रकाश डालने के लिए कहा है.
समिति में कौन-कौन शामिल?
एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप स्कूली पाठ्यपुस्तकों के पाठ्यक्रम को संशोधित कर रही है. परिषद ने हाल ही में इन कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए 19 सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम एवं शिक्षण सामग्री समिति (एनएसटीसी) का गठन किया था. समिति के अन्य सदस्यों में आईसीएचआर के अध्यक्ष रघुवेंद्र तंवर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की प्रोफेसर वंदना मिश्र, डेक्कन कॉलेज डीम्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वसंत शिंदे और हरियाणा के एक शासकीय विद्यालय में समाजशास्त्र पढ़ाने वाली ममता यादव शामिल हैं.