केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने कहा कि प्राचीन भारत नई खोजों की भूमि थी और आज आधुनिक भारत, विश्व मित्र के रूप में कार्य करते हुए खाइयों को पाटने और नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठा रहा है. 2047 तक विकसित भारत (Viksit Bharat) बनने का लक्ष्य रखते हुए भारत का लक्ष्य रिसर्च, नवाचार और उद्यमिता को अपने बदलाव का प्रमुख औजार बनाना है. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के मार्गदर्शन में भारत ने ‘नवाचार और उद्यमिता में एक बड़ी छलांग’ लगाई है.
उन्होंने इस बात पर भी रोशनी डाली कि दुनिया अब विकास के भारतीय मॉडल को पहचान रही है. जो भविष्य के नजरिये से सतत विकास पर केंद्रित है. उन्होंने कहा कि हमारी ताकत बाजार और कल्याणकारी अर्थव्यवस्था, दोनों की गतिशीलता को पहचानने में है. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए नीति निर्धारण रणनीतियों की रूपरेखा तैयार करने और कुछ क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इसको देखते हुए ‘विनिर्माण क्षेत्र’ पर केंद्रित किया गया है.
भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाना है
धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि इसका लक्ष्य भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाना है जो देश की जीडीपी में कम से कम 25 फीसदी योगदान देगा, जबकि वर्तमान में यह 17 फीसदी है. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’, ‘इन्वेस्ट इन इंडिया’, पीएलआई योजना और एफडीआई उदारीकरण जैसे महत्वपूर्ण नीतिगत बदलावों के जरिये विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है. उन्होंने आगे कहा कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर डोमेन ने आज भारत में 46 फीसदी वैश्विक डिजिटल लेनदेन के साथ एक बड़ा काम किया है, जिससे भारत नवाचार का घर बन गया है.